रुचि के स्थान
- अटेर का किला : इसका निर्माण भदौरिया राजा बदन सिंह, महा सिंह और बखत सिंह द्वारा 1664-1668 के काल में किया गया था इनके नाम पर इस क्षेत्र को “भदावर” के नाम से जाना जाता है l यह चंबल की गहरी वादियों के अन्दर स्थित है l वर्तमान में यह खंडहर की अवस्था में है l यह भिंड शहर के पश्चिम में 35 किलोमीटर दूर स्थित है। यहाँ जाने के लिए प्रातः 6 बजे से सायं 4 बजे तक परिवहन उपलब्ध रहता है l यहाँ बस या जीप जो अटेर रोड / बस स्टैण्ड पर उपलब्ध रहती हैं, से आसानी से जाया जा सकता है l ‘खूनी दरवाजा’, ‘बदन सिंह का महल’, ‘हथियापुर’, ‘राजा का बंगला’, ‘रानी का बंगला ‘और’ बारह खंबा महल’ किले के मुख्य आकर्षण हैं भिंड शहर में स्थित एक अन्य किला भी भदौरिया राजा द्वारा विद्रोहियों पर नियंत्रण रखने के लिए बर्ष 1654-1684 के काल में बनवाया गया था । सिंधिया शासन के दौरान दरबार हॉल का निर्माण किया गया था जिसमें वर्तमान में जिला आर्कियोलॉजिकल एसोसिएशन भिंड (म..प्र.) द्वारा संग्रहालय चलाया जा रहा है
- वनखंडेश्वर मंदिर : यह भिंड शहर में स्थित है। इस शिव मंदिर का निर्माण बर्ष 1175 ई. में राजा प्रथ्वीराज चौहान द्वारा कराया गया था । यह कहा जाता है कि तब से “अखण्ड ज्योति” निरंतर प्रज्वलित हो रही है ।
- बरासों के जैन मंदिर : ये प्राचीन मंदिर हैं और इनका अस्तित्व इस क्षेत्र में भगवान महावीर स्वामी की यात्रा के परिणामस्वरूप है । ये मंदिर भिंड – ग्वालियर रोड पर भिंड के दक्षिण पूर्व में लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित है। परिवहन के लिए उपलब्ध साधन केवल ऑटो टैक्सी या निजी वाहन है।
- जमदारा में माता रेणुका मंदिर :यह मौ के निकट गोहद तहसील में स्थित है और कहा जाता है कि यह महर्षि परशुराम का जन्मस्थल है। परशुराम से जुड़ी लोककथा है कि उनके पिता ने माता रेणुका के सिर को काटने का आदेश दिया था जिसका उन्होंने पालन किया और पुरुष्कार स्वरुप अपने पिता से माता रेणुका का पुनर्जीवन माँगा जिसको पिता जम्दगिनी ने स्वीकार कर लिया l इसी घटना स्थल पर मंदिर का निर्माण किया गया । मन्दिर में देवी माता रेणुका की मूर्ति जिसका सिर धड से कटा हुआ है ।
- नारद देव मंदिर : सिंध के नदी के किनारे पर स्थित यह एक शिव मंदिर है । यह अति प्राचीन है और महर्षि नारद ने यहां पूजा की थी । इसे पुनरोद्धार किया जा रहा है l
- गोहद का किला : यह किला 16 वीं शताब्दी में जाट राजा महा सिंह द्वारा बनवाया गया था । किला खंडहर हो चूका है लेकिन महल में अभी भी कई सरकारी कार्यालय संचालित हो रहे हैं l महल की सुन्दर नक्काशी अभी भी देखने लायक है । ‘कछारी महल’ ईरानी कला का एक अनोखा उदाहरण है । किले तक कोई भी बस से पहुंच सकता है। इन जगहों के अलावा भिंड में विश्व प्रसिद्ध बीहड़ और वादियाँ देखने लायक हैं जो सदियों से वागियों के लिए अभ्यारण्य रही हैं l पांच नदियों – पहुज, सिंध, क्वारी, चंबल और यमुना जो भिंड या इसके आस-पास बहती हैं, का संगम 2 किलोमीटर के दायरे में होता है जो “पंचनदा” के नाम से प्रसिद्ध है l जिले से ठीक सटा हुआ यह स्थान वास्तव में उत्तर प्रदेश में है लेकिन यह एक दुर्लभ घटना है जहां पांच नदियों का एक ही बिंदु पर एक समय में संगम होता है ।